अनपढ़ मां की कहानी

इसे पढ़कर आपकी आंखों में आंसू आ ही जाएंगे।

एक लड़का था जो कि मध्यमवर्ग से बिलॉन्ग करता था। वह दसवीं की परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास हुआ । जब वह घर आया तो उसके पापा ने कहा सुनती हो हमारा लड़का बहुत अच्छे नंबरों से पास हुआ है आज तो खाने में कुछ मीठा बनाना। मां दौड़ के आई और कहा दिखाओ तो कितने नंबर आए हैं लड़के ने आगे होकर अपना मार्कशीट अपने पापा के हाथ से ले ली और कहा पापा इन्हें क्या बताते हो इन्हें क्या समझ में आएगा यह तो अनपढ़ है। इतना सुनकर मां उदास होकर रसोई में चली गई लड़के के अच्छे नंबर से पास होने की खुशी में कुछ मीठा बनाने लगी।

इतने पर पिता ने कहा यह बात भी सही है उसे क्या समझ में आएगा वह तो अनपढ़ है।

पिता व्यंग पूर्ण शब्दों में कहते हैं।

हमारी शादी हुई थी उसके 3 महीने बाद ही तुम्हारी मां गर्भवती हो गई थी मैंने तुम्हारी मां को कहा था कि अभी तो हमारी नई नई शादी हुई है हमारे घूमने फिरने के दिन है चलो अबॉर्शन करवा देते हैं इसके बारे में बाद में सोचेंगे लेकिन तुम्हारी मां ने कहा नहीं घूमना फिरना बाद में भी हो सकता है हम अबॉर्शन नहीं करवाएंगे और तुम इस दुनिया में आए।

क्योंकि वह अनपढ़ थी ना…..

जब तुम अपनी मां के गर्भ में थे तब बहुत सी ऐसी बातें थी जो तुम्हारी मां को पसंद नहीं थी फिर भी तुम्हारे लिए बिना सोचे समझे वह हर वो काम करती जो तुम्हारे लिए अच्छा हो। जैसे दूध पीना तुम्हारी मां को पसंद नहीं था फिर भी वह तुम्हारी अच्छी सेहत के लिए 9 महीने तक हर रोज दूध पीती।

क्योंकि वह अनपढ़ थी ना…..

तुम्हें सात बजे स्कूल जाना होता था तब वह पांच बजे उठकर तुम्हारे लिए तुम्हारा मनपसंद का नाश्ता बनाती थी।

क्योंकि वह अनपढ़ थी ना…..

जब तुम पढ़ते पढ़ते सो जाते थे तब तुम्हारी मां आकर तुम्हारी किताबें स्कूल बैग में रखती और तुम्हें ओढ़ने का ओढ़ती उसके बाद ही सोती।

क्योंकि वह अनपढ़ थी ना…..

तुम्हें अच्छे कपड़े पहनाने के लिए वह मेरे पीछे पड़ जाती और जिद करके तुम्हारे लिए अच्छे कपड़े मंगवाती और वह खुद पूरा साल एक साड़ी में ही निकाल देती।

क्योंकि वह अनपढ़ थी ना…..

जब तुम बीमार पड़ते थे तब तुम्हारी मां रात भर जाकर तुम्हारी देखरेख करती और जब तब तुम नहीं सोते तब तक वह नहीं सोती थी चाहे वह कितनी भी थकी हुई क्यों ना हो।

क्योंकि वह अनपढ़ थी ना…..

पिता अपने बेटे को कहते हैं कि बेटा पढ़े-लिखे लोग पहले अपना स्वार्थ और मतलब देखते हैं लेकिन तुम्हारी मां ने सबसे पहले तुम्हें आगे रखा। अपने आप को भूल ही गई।

क्योंकि वह अनपढ़ थी ना…..

लड़का रोता हुआ अपनी मां से लिपट गया और अपनी मां से माफी मांगने लगा। रोते-रोते बोला कि मैंने तो सिर्फ कागज पर अच्छे अंक प्राप्त किए लेकिन मेरे जीवन को सही राह दिखाने वाली तो आप ही है मां आप ही मेरी पहली गुरु हो।

यह हर एक पढ़ी-लिखी और अनपढ़ मां की कहानी है। हर बच्चा अपनी मां को कम आँकता का है लेकिन उसे मालूम नहीं होता है कि उसकी मां ने उसके लिए क्या-क्या किया है???

हर मां अपने बच्चे के लिए एक शिक्षक ,डॉक्टर ,वकील ,बेस्ट कूक ,ड्रेस डिजाइनर पता नहीं ऐसे कितने ही किरदार हैं जो मां अपने अंदर छुपाए चलती हैं ओर हम कहते हैं!!!!!

मां आप तो अनपढ़ हो आपको क्या पता चलेगा…….

 

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